NASA का दावा, सौरमंडल के बाहर मिला बृहस्पति के आकार का नया ग्रह
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बृहस्पति
NASA का दावा, सौरमंडल के बाहर मिला बृहस्पति के आकार का नया ग्रह
अंतरिक्ष की गहराइयों में कई राज छिपे हैं और वैज्ञानिक समय-समय पर इन रहस्यों से पर्दा उठाते रहते हैं.
वॉशिंगटन: अंतरिक्ष की गहराइयों में कई राज छिपे हैं और वैज्ञानिक समय-समय पर इन रहस्यों से पर्दा उठाते रहते हैं. NASA के ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हमारे सौरमंडल के बाहर एक ग्रह है, जो अब तक का सबसे कम उम्र का और सबसे बड़ा हॉट ज्यूपिटर (बृहस्पति ग्रह) प्रतीत होता है.
एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सोप्लैनेट HIP 67522B एक तारे की परिक्रमा करता है जो लगभग 17 मिलियन वर्ष पुराना है, जिसका अर्थ है कि यह हॉट ज्यूपिटर केवल कुछ मिलियन वर्ष पुराना है, जबकि अधिकांश ज्ञात हॉट ज्यूपिटर एक अरब वर्ष से अधिक पुराने हैं. गौरतलब है कि एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह होते हैं जो हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित हैं और किसी तारे के चारों को घूमते रहते हैं.
लगभग Jupiter के आकार के एक्सोप्लैनेट HIP 67522B को तारे की परिक्रमा लगाने में लगभग सात दिन लगते हैं, जिसमें सूर्य के समान द्रव्यमान है. पृथ्वी से केवल 490 प्रकाश वर्ष दूर स्थित यह ग्रह पृथ्वी के व्यास का लगभग 10 गुना है, या बृहस्पति के करीब है. HIP 67522B के आकार से लगता है कि यहां प्रचुर मात्रा में गैस है. HIP 67522 b को नासा के ट्रांसिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) द्वारा प्लानेट कैंडिडेट के रूप में पहचाना गया है. TESS तारों के निकट कक्षा में चक्कर लगाने वाले ग्रहों के बारे में पता लगाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि HIP 67522B के सामने आने के बाद कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है.
हमारी समझ को बदला
ग्रहों के निर्माण और उनके विकसित होने को लेकर हमारी समझ सौरमंडल के आठ (या नौ) ग्रहों पर ही आधारित रही है, लेकिन पिछले 25 वर्षों में, सौर मंडल के बाहर 4,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट या ग्रहों की खोज ने पुरानी थ्योरी को काफी हद तक बदल दिया है. अंतरिक्ष की दुनिया का सबसे पेचीदा और दिलचस्प भाग है एक्सोप्लैनेट का एक वर्ग है, जिसे हॉट ज्यूपिटर कहा जाता है. बृहस्पति के आकार के समान, ये गैसीय ग्रह अपने मूल सितारों के बेहद करीब होते हैं, और उनका चक्कर लगाते रहते हैं.
ग्रहों के निर्माण और उनके विकसित होने को लेकर हमारी समझ सौरमंडल के आठ (या नौ) ग्रहों पर ही आधारित रही है, लेकिन पिछले 25 वर्षों में, सौर मंडल के बाहर 4,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट या ग्रहों की खोज ने पुरानी थ्योरी को काफी हद तक बदल दिया है. अंतरिक्ष की दुनिया का सबसे पेचीदा और दिलचस्प भाग है एक्सोप्लैनेट का एक वर्ग है, जिसे हॉट ज्यूपिटर कहा जाता है. बृहस्पति के आकार के समान, ये गैसीय ग्रह अपने मूल सितारों के बेहद करीब होते हैं, और उनका चक्कर लगाते रहते हैं.
2018 में हुई थी मिशन की शुरुआत
आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने इस अभियान की शुरुआत 2018 में की थी. तारों के निकट कक्षा में चक्कर लगाने वाले ग्रहों की खोज के लिए उसने उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया था. इस मिशन का उद्देश्य सौरमंडल के बाहर नई दुनिया की तलाश करना और ऐसे ग्रहों की पहचान करना है जहां एलियन के जीवन के अनुकूल माहौल है. इस उपग्रह को फ्लोरिडा के एयर फोर्स स्टेशन से Space X फालकन 9 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था.
आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने इस अभियान की शुरुआत 2018 में की थी. तारों के निकट कक्षा में चक्कर लगाने वाले ग्रहों की खोज के लिए उसने उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया था. इस मिशन का उद्देश्य सौरमंडल के बाहर नई दुनिया की तलाश करना और ऐसे ग्रहों की पहचान करना है जहां एलियन के जीवन के अनुकूल माहौल है. इस उपग्रह को फ्लोरिडा के एयर फोर्स स्टेशन से Space X फालकन 9 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था.
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